निरंतर बहती नदियों सा असीम है जो न सदियों सा गुरु का ज्ञान ही है वो जो करता है रौशन हमारा जीवन जलती मोमबत्तियों सा वृक्ष की गहरी जड़ों सा उसके बलशाली तनो सा गुरु का ज्ञान ही है वो जो देता है सहारा हमे अपार अटूट लौह सरियों सा पत्ती पर ओस की बूंदो सा कम्बल की गर्म परतों सा गुरु का ध्यान ही है वो जो देता है प्रेम , जैसे हेम रेशम के नरम रेशों सा पिता के मज़बूत कन्धों सा माँ के कोमल हृदय सा गुरु ही है वो जो भगाता है डर बनाता है निडर निर्भीक समुद्री कश्तियों सा फूल की नाज़ुक कलियों सा आसमा में मग्न तितलियों सा हमारा मन ही है वो जिसे संभालते हैं संवारते हैं गुरु पंछी के सहज पंखो सा हर मन के आदर्शों सा अचल अडिग पर्वतों सा प्रशांत पवित्र समुद्रों सा गुरु ही है वो जिसके बिना हमारा जीवन है वृक्ष के सूखे पत्तों सा : रक्षित राज #teachers #teaching #reading