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प्रभाती - दोहे *********** नव प्रभात अब आ गय

प्रभाती - दोहे 
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नव  प्रभात  अब  आ  गया, मानव  आँखे खोल।
मात पिता को नमन कर, मुख से हरि हरि बोल।।

भोर  नमन  हरि  को  करे , फिर  हम खोले नेत्र। 
कण  कण  में  हरि  है  बसे, कोई  भी  हो  क्षेत्र।। 

सूर्य    किरण   फैली   उमा , बीत  गई  है  रात। 
उदित   सूर्य  की  लालिमा,  लाई   नई   प्रभात।।

©Uma Vaishnav
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