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Black हे श्रमिक श्रम नायक। धरती-पुत्र तू अन्नदाता

Black हे श्रमिक श्रम नायक। 
धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। 
जीवनदायनी कर्मदाता ।
कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ  तू विराजित नहीं।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
संस्कृति के तू रखवाले। 
जग के तू पालनकर्ता ।। 
आपदा में तुम हीं दिखते। 
सुखदा में भी तेरा  नाम।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
खेत-खलिहान में तू ही दिखते। 
कल-कारखानो में भी तू ही बसते।। 
नगर-नगर में तुम्हें ही पाते। 
जग के भर्ता पालनकर्ता।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
आँसू पीड़ा दुःख का जीवन। 
 पर सबको को बरसाते अमृत।। 
खुद हलाहल पी कर भी। 
जीवन सुखद बनाते हो। 
हे श्रमिक श्रमनायक।

©संगीत कुमार #Morning हे श्रमिक श्रम नायक। 
धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। 
जीवनदायनी कर्मदाता ।
कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ  तू विराजित नहीं।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
संस्कृति के तू रखवाले। 
जग के तू पालनकर्ता ।। 
आपदा में तुम हीं दिखते।
Black हे श्रमिक श्रम नायक। 
धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। 
जीवनदायनी कर्मदाता ।
कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ  तू विराजित नहीं।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
संस्कृति के तू रखवाले। 
जग के तू पालनकर्ता ।। 
आपदा में तुम हीं दिखते। 
सुखदा में भी तेरा  नाम।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
खेत-खलिहान में तू ही दिखते। 
कल-कारखानो में भी तू ही बसते।। 
नगर-नगर में तुम्हें ही पाते। 
जग के भर्ता पालनकर्ता।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
आँसू पीड़ा दुःख का जीवन। 
 पर सबको को बरसाते अमृत।। 
खुद हलाहल पी कर भी। 
जीवन सुखद बनाते हो। 
हे श्रमिक श्रमनायक।

©संगीत कुमार #Morning हे श्रमिक श्रम नायक। 
धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। 
जीवनदायनी कर्मदाता ।
कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ  तू विराजित नहीं।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
संस्कृति के तू रखवाले। 
जग के तू पालनकर्ता ।। 
आपदा में तुम हीं दिखते।

#Morning हे श्रमिक श्रम नायक। धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। जीवनदायनी कर्मदाता । कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ तू विराजित नहीं।। हे श्रमिक श्रमनायक। संस्कृति के तू रखवाले। जग के तू पालनकर्ता ।। आपदा में तुम हीं दिखते। #कविता