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अविरल धारा सा बहना चाहता हूँ, हदों की बन्दिशों मे

अविरल धारा सा बहना चाहता हूँ,

हदों की बन्दिशों में नहीं रहना चाहता हूँ,

बन्द किताबों के पन्ने अक्सर खराब हो जाते हैं,

तभी तो खुली किताब सा रहना चाहता हूँ,

©Dr Vikash Sharma #khuli kitab
अविरल धारा सा बहना चाहता हूँ,

हदों की बन्दिशों में नहीं रहना चाहता हूँ,

बन्द किताबों के पन्ने अक्सर खराब हो जाते हैं,

तभी तो खुली किताब सा रहना चाहता हूँ,

©Dr Vikash Sharma #khuli kitab