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vikashsharma9825
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Vikash Sharma

poetry and shayari

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Vikash Sharma

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Vikash Sharma

White महंगाई की मार बढ़गी,

माणस की करड़ाई चढ़गी,

व्हीकल तै आगे तेल निकल ज्या है,

सब्जी मंडी के गेट पै ए नींबू घेटी पकड़ ज्या है,

कुल्फी भी इब आपणे रेट बढ़ागी,

मिर्ची भी बेसरम हो घणे भाव खागी,

घीया भी भाव पूछते मुंह चढ़ावै है,

खीरे काकड़ी भी कोए कोए खावै है,

भिंडी तौरी भी नहीं आती आसानी तै काबू,

टमाटर तो हो लिया सबका बाबू,

धनिया भी अलग तै रेट चाहण लाग्या,

न्यू कह है भाई मैं फ्री मैं क्यूं जाण लागया,

आलू बैंगण कै गले लाग कै आशु टपकाण लाग्या,

बोल्या भाई के हाल होगे रै,

इब तो आपा नै पूछणे कोए कोए आण लाग्या,

इब तो आपा नै पूछणे कोए कोए आण लाग्या,

Vikash Sharma

©Vikash Sharma
  #wallpaper
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Vikash Sharma

White महंगाई की मार बढ़गी,
बॉस की फटकार बढ़गी,
घर आला की डिमांड बढ़गी,
माणस की करड़ाई चढ़गी,
व्हीकल तै आगे तेल निकल ज्या है,
सब्जी मंडी के गेट पै ए नींबू घेटी पकड़ ज्या है,
कुल्फी भी इब आपने रेट बढ़ागी,
मिर्ची भी बेसरम हो घणे भाव खागी,
घीया भी भाव पूछते मुंह चढ़ावै है,
खीरे काकड़ी भी कोए कोए खावै है,
भिंडी तौरी भी नहीं आती आसानी तै काबू,
टमाटर भी हो लिया सबका बाबू,
धनिया भी अलग तै रेट चाहण लाग्या,
न्यू कह है भाई मैं फ्री मैं क्यूं जाण लागया,
आलू बैंगन कै गले लाग कै आशु टपकाण लाग्या,
बोल्या भाई के हाल होगे रै,
इब तो आपा नै पूछणे  कोए कोए आण लाग्या,
इब तो आपा नै पूछणे कोए कोए आण लाग्या,

©Vikash Sharma
  मंहगाई

मंहगाई #कविता

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Vikash Sharma

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Vikash Sharma

White उम्र की मार से कौन बचा है,
कल का भैया ही तो,
आज का चच्चा है,
झुरियां चेहरे की चमक को,
सूर्यग्रहण लगा देती हैं,
उम्र बढ़ रही है,
बिन बोले बता देती हैं,
मेकअप से झुरियां छिपाने वाले,
अक्सर पेट कहां छिपा पाते हैं,
ना अपनी चाल में,
पहले वाली फुर्ती दिखा पाते हैं,
भाग दौड़ से भी बचते नजर आते हैं,
झड़ते बालों के लिए,
पानी को जिम्मेदार ठहराते हैं,
घुटनों के दर्द के लिए,
खान पान पे दोष लगाते हैं,
मगर ऐज को जस्ट ऐ नंबर,
जस्ट ऐ नंबर बताते हैं,


Vikash Sharma

©Vikash Sharma #sad_shayari
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Vikash Sharma

White वो नदी भी कितनी नादान थी,
जो समुंदर से पूछ बैठी,
बता तुझमें कितनी प्यास है,
उसे कौन समझाए,
जाने कितनी नदियां पी गया,
ये समुंदर बड़ा बदमाश है,

©Vikash Sharma
  #olympic_day
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Vikash Sharma

White बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने की जिद्द में,
आज वो गांव छोड़ शहर की तरफ चल पड़ा था,
इसके लिए वो घर वालों से भी लड़ा था,
यूं तो उसे पता था उसकी कमाई कम,
और शहर का खर्चा बड़ा था,
मगर वो तो एक बाप था,
तभी तो उसे विश्वास था,
वो कोई भी जुगाड़ लगा लेगा,
बच्चों की फीस, घर का खर्चा चल जाए,
इतना तो कमा लेगा,
कभी बेफिक्री से जीने वाला,
बड़े चाव से चाय पीने वाला,
वो लड़का आज थका हारा,
10 रुपए की चाय पीने से भी कतराने लगा,
सुबह घर से खाना खाके निकलता,
शाम को घर आके ही खाने लगा,
खाने पीने का शौकीन वो,
अब खाली पेट भी मुस्कुराता था,
पुराने कपड़ों में भी अब उसे मजा आता था,
लोग उसे कंजूस कहने लगे थे,
मगर हां,
बच्चों के जन्मदिन पर केक जरूर लाता था,
वो दिन रात काम करके,
अपना शरीर तोड़ लेता था,
घर का खर्च, बच्चों की फीस भर ले,
इतना महीने के आखिर तक जोड़ लेता था,
क्योंकि वो एक बाप था

Vikash Sharma

©Vikash Sharma
  #fathers_day
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Vikash Sharma

White बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने की जिद्द में,
आज वो गांव छोड़ शहर की तरफ चल पड़ा था,
इसके लिए वो घर वालों से भी लड़ा था,
यूं तो उसे पता था उसकी कमाई कम,
और शहर का खर्चा बड़ा था,
मगर वो तो एक बाप था,
तभी तो उसे विश्वास था,
वो कोई भी जुगाड़ लगा लेगा,
बच्चों की फीस, घर का खर्चा चल जाए,
इतना तो कमा लेगा,
कभी बेफिक्री से जीने वाला,
बड़े चाव से चाय पीने वाला,
वो लड़का आज थका हारा,
10 रुपए की चाय पीने से भी कतराने लगा,
सुबह घर से खाना खाके निकलता,
शाम को घर आके ही खाने लगा,
खाने पीने का शौकीन वो,
अब खाली पेट भी मुस्कुराता था,
पुराने कपड़ों में भी अब उसे मजा आता था,
मगर हां,
बच्चों के जन्मदिन पर केक जरूर लाता था,
वो दिन रात काम करके,
अपना शरीर तोड़ लेता था,
घर का खर्च, बच्चों की फीस भर ले,
इतना तो महीने के आखिर तक जोड़ लेता था,
क्योंकि वो एक बाप था

©Vikash Sharma
  #love_shayari बाप
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Vikash Sharma

White ईन गोरे गोरे चेहरों से प्यार मत करना,
इनकी मीठी मीठी बातों पे भी एतबार मत करना,
इनके दिल अक्सर बंजर होते हैं,
पास खड़े हो तो भी थोड़ी दूरी जरूर रखना,
इनके गुलदस्तों में भी खंजर होते हैं,
इनकी चिकनी चुपड़ी बातों पर,
एतबार मत करना,
इनकी हँसी अक्सर झूठी होती है,
इनकी हँसी पर मत मरना,
शेर से डरो मत डरो तुम्हारी मर्जी,
दोस्त इनसे जरूर डरना,

©Vikash Sharma
  #eid_mubarak
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Vikash Sharma

White Happy father's day

पिता जी हैं वो, वो जीते हैं,
बच्चो की कामयाबी के सपने,
वो छाता होते हैं परेशानियों की बारिश में,
वो जूता होते हैं रास्ते के काटों में,
वो घर का ताला होते हैं अंधेरी रातों में,
वो चाहते हैं देखना हमेशा बच्चों को हंसते,
वो हमेशा ढूंढने में लगे रहते हैं,
बच्चों के लिए आसान रस्ते,
उनकी बस ये पहचान होती है,
बच्चों में छिपी उनकी जान होती है,
बच्चों की जिंदगी आसान बनाने में लगे रहते हैं,
मगर उनकी जिंदगी कहां आसान होती है,

©Vikash Sharma
  #fathers_day
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