पतझड़ पत्ते डेहनी से छूटे जा रहे है। पेड़ अब इस पतझड़ से रूठे जा रहे है, जोरों की फिजाओं ने पेड़ों को कुछ यूं घेरा, बिखर दिया ज़मीन पर सूखे पत्तो का डेरा। खयाल है मेरा , पत्तो को भी यह महसूस हुआ होगा पिता से बच्चे अलग होकर कुछ न होते ये भी लगा होगा, मजबूत शाखाओं से बना हुआ पेड़ भी आज कमजोर है, बूढ़ा हो चुका है वो, अब उसमें न ज़ोर है। अपने अंग के टुकड़े को देख उनको खोया है वह, अपनोको बिछड़कर बिना आंसू रोया है वह। नए रंग मेरी शाखाओं से फूटेंगे ,ये उम्मीद लिए खड़ा है, हर पतझड़ को एक जंग मानकर उस से ये लड़ा है। ©Rakesh sharma #fallingleaves #fall #Summer #tree #Shayar #feelings #seasons #Neture #leaves #autumn