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# ग़ज़ल लाख कोशिश की मगर ये ज़ख् | Hindi Shayari

ग़ज़ल

लाख कोशिश की मगर ये ज़ख्म-ए-दिल भरता नहीं
क्या करूं मरहम कोई इस पर असर करता नहीं

रोज़ है सूरज निकलता, बादलों की ओट से
इस शब-ए-ग़म की मगर वो भी सहर करता नहीं
odysseus9022

Odysseus

Bronze Star
New Creator

ग़ज़ल लाख कोशिश की मगर ये ज़ख्म-ए-दिल भरता नहीं क्या करूं मरहम कोई इस पर असर करता नहीं रोज़ है सूरज निकलता, बादलों की ओट से इस शब-ए-ग़म की मगर वो भी सहर करता नहीं #Poetry #Song #ghazal #Hindi #nojotohindi #urdu #nojotourdu #म्यूज़िक

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