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न फ़िक्र कोई न जुस्तजू है न ख़्वाब कोई न आरज़ू है

न फ़िक्र कोई न जुस्तजू है
न ख़्वाब कोई न आरज़ू है
ये शख़्स तो कब का मर चुका है
तो बेकफन फिर ये लाश क्यों है

©Mehfil-e-Mohabbat
  ✍️♥️ जावेद अख्तर साहब ♥️✍️

✍️♥️ जावेद अख्तर साहब ♥️✍️ #शायरी

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