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"एक पतझड़ सा आ लगा मुझमें, फिर कोई गुल नहीं खिला म

"एक पतझड़ सा आ लगा मुझमें,
फिर कोई गुल नहीं खिला मुझमें,

पल भर के लिए मिला था कोई
फिर उम्र भर रहा मुझमें"

©arti Saxena
  #Mujhme