न कभी दर्द को जाना था तुमने न कभी आँसू से पहचान थी तुम्हारी फिर ये गीत का अंकुर निकला कहा से और तुम्हारे मूक मन को ये मीठा स्वर कौन दे गया? गीत का अंकुर