ना जानें अब ये इंतज़ार किसका हैं, ऑंखें यहाँ नम हैं और पानी आसमान से टपक रहे। ना जानें ये लम्हां कौन सा हैं, हवा का झोंका बाहर चल रही और पत्ते रिश्तों के झर रहे।। कुछ तो लिखा हुवा हैं कुदरत का, हलचल तो इस घर में हैं और तवाही उस घर के हो रहे।।। #Love #Live #life #Dosti