2122 1212 22/112 हूं मैं आशिक़ तेरा ज़माने से इश्क़ इक बार है दिवाने से मैं तो आशिक़ रहूँगा तुम्हारा जाके कहदो ये तुम ज़माने से इश्क़ मैं मरना ज़िंदगी होगी मेरे जाने से तेरे जाने से लफ़्ज़ दो है ये जो मुहब्बत के जान जाती है मेरी कहने से आरज़ू है तु ही बने दुल्हन फूल खिलने लगे हैं मिलने से दिल का रिश्ता"ज़ुबैर" गहरा है आपसे जब से दिल लगाने से लेखक - ज़ुबैर खान.....✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN Ashiqui