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और मेरा दिल जोर जोर से हिला कुछ तो था अलग इस काली


और मेरा दिल जोर जोर से हिला
कुछ तो था अलग इस काली रात में
पसीनों से मेरा बदन हुआ गिला 
जुबान बंद हो गई थी देख के उस सफेद साड़ी वाली को
तभी फिर आवाज आई दोबारा तेज़ हवाओं के साथ
डर के मारे मैं तेज़ सांसों से अंदर चला
पकड़ लिया किसी ने जैसे पीछे से मुझे
बोलने की कोशिश की किसी को वो भी ना कर सका
इतने में आंख खुली वो तो एक सपना था
चलो जो भी था एक डरावने दरवाज़े का खुलना था..

©Drx. Mahesh Ruhil 
  #दरवाज़ा