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, हंसकर मेरी खामोशी को तुमने रिहा कर दिया मेरे दर्

, हंसकर मेरी खामोशी को तुमने रिहा कर दिया मेरे दर्द को तुमने जुबा दे दिया मेरी फितरत में यह था ही नहीं कि मैं अपना दर्द को खुद से रिहा कर दिया मेरे उलझनों तुमने सुलझा दीया मेरी मोहब्बत को तुमने इस कदर निभा दिया तुम्हें पता भी नहीं होगा कि यह दिल तुम्हें कितना चाहता है तुम्हें तुम तो दोस्त ठहरे तुम मेरा दोस्ताना निभा दिया

©Madhu ji
  #Identity  Kapil Nayyar