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अच्छी थी कहानी, अच्छी थी कहानी, पर अधूरी रह गई, कु

अच्छी थी कहानी, अच्छी थी कहानी, पर अधूरी रह गई, कुछ पता ही ना चला, कब तबाह, और कब बरक़रार रह गई, हुस्न से परे, सिर्फ निगाहों के पन्नों पर लिपट कर, जिस्म से दूर, बस रूह की गहराइयों में उतर कर, ऐसी थी एक मोहब्बत, जो वफ़ा की तरह मजबूर, और बेवफ़ा की तरह मशहूर होकर भी, अधूरी रह गई, अगर इश्क़ में मिल जाना ही सबकुछ होता, तो लहू और इश्क़ के निशान एक ना होते, अगर हर मोहब्बत दो तरफा होती, तो उम्मीदों के हौसलों की दीवारों में दरारें ना होती, अगर वक्त पर हद्द में मोहब्बत होती, तो हाल ए जिन्दगी पर अफ़सोस ना होता, अगर काया रूपी सौन्दर्य से ऊपर उठकर मोहब्बत होती, तो इश्क़ की चादर बार बार बदलने की आदत ना होती, किसी की दर्द भरी यादों का बोझ उठाने की, हर रास्ते, हर जगह, बस किसी एक का इंतजार करने की, अपने आप को जिन्दा जला जला कर, नफ़रत की आग की चिंगारी जलाने की, किसी को बद्दुआ देने की, या किसी को तकदीर कौसने की, किसी को किसी के खातिर रोने की– तड़पने की, तो किसी को, किसी को खोने से डरने की, किसी को अपने आप को मिटा देने की, तो किसी को, किसी की मोहब्बत में बर्बाद होने की, किसी को मोहब्बत ए इश्क़ में मजबूर होने की, तो किसी को किस्सा ए मोहब्बत में, अपने वजूद, अपने ख़्वाब, अपनी वफ़ा, और अपने इश्क़ के जख्मों के दर्द की, कुर्बानी देने की, ज़रूरत ना होती, और साहब ये शख्स, ये मोहब्बत, ये दुनिया, ये लोग, और ये कहानी, आज अधूरी ना होती, आज अधूरी ना होती।

©SHIVAM SEN
  SSSHIV - "EK PYAR EK DARD"
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SHIVAM SEN

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