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भारत की माटी 'कटक' ने, एक लाल ऐसा जाया था, नाम सुभ

भारत की माटी 'कटक' ने, एक लाल ऐसा जाया था, नाम सुभाष था देखो जिसने, मज़ा अंग्रेजों को चखाया था आजादी की खातिर उसने, सर्वस्व अपना लुटाया था, हर भारतवासी को उसने, जयहिन्द करना सिखाया था।। मांगे से न मिलता कुछ भी, यह एहसास जगाया था, खून के बदले दूंगा 'आजादी', सपना सबको दिखाया था। प्रश्न वही गुलामी का, नित चिंता ने उसे सताया था, फौज बनाई फिर, जिसका उसने,'आजाद हिन्द' नाम लिखाया था। भारत-भू के उजियारे को, गांधी ने 'नेता' बुलाया था, नमन करे इस वीर को जिससे, अंग्रेजों ने 'मात' को खाया था।।

©Kavi Aditya Shukla #subhashchandrabose
भारत की माटी 'कटक' ने, एक लाल ऐसा जाया था, नाम सुभाष था देखो जिसने, मज़ा अंग्रेजों को चखाया था आजादी की खातिर उसने, सर्वस्व अपना लुटाया था, हर भारतवासी को उसने, जयहिन्द करना सिखाया था।। मांगे से न मिलता कुछ भी, यह एहसास जगाया था, खून के बदले दूंगा 'आजादी', सपना सबको दिखाया था। प्रश्न वही गुलामी का, नित चिंता ने उसे सताया था, फौज बनाई फिर, जिसका उसने,'आजाद हिन्द' नाम लिखाया था। भारत-भू के उजियारे को, गांधी ने 'नेता' बुलाया था, नमन करे इस वीर को जिससे, अंग्रेजों ने 'मात' को खाया था।।

©Kavi Aditya Shukla #subhashchandrabose