पहचानना किसी का किसी को कठिन हुआ । चेहरे हजार रंग बदलतें हैं धूप में ।। बादल जो हमसफर थे कहाॅं खो गए कि हम । तन्हा सुलगती रेत पे जलतें हैं धूप में ।। सूरज का कहर टूट पडा है जमीन पर । मंजर जो आस पास थे, जलतें हैं धूप में ।। पत्ते हिलें तो शाखों से चिंगारियां उडें । सर सब्ज पेड आग उगलतें हैं धूप में ।। ‘मख्मूर’ हम को साय-ए-अब्रे-रवां से क्या । सूरजमुखी के फूल हैं, पलतें हैं धूप में ।। ©Ridhima #mygazalnojoto #GoodMorning #sunflower