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आहिस्ता आहिस्ता एक और दिन भी ढल रहा है वो लंबे सफ

आहिस्ता आहिस्ता
एक और दिन भी ढल रहा है

वो लंबे सफ़र का राही है
तभी जरा जरा तेज चल रहा है 

वो बादल की ओट में
कैसे लाली लिए ढल रहा है
उसका भी मिजाज़ अलग है
आहिस्ता आहिस्ता रंग बदल रहा है

©Manish Sarita(माँ )Kumar
  सूर्यास्त....





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