सिर्फ सपनो की दीवार न खेंचो कुछ हवा मकसदों को भी लगने दो जिंदगी सिर्फ अहसासों से आगे नहीं बढ़ती कर्म के प्रयासों से ही मंजिल की तरफ अग्रसर होती कुछ हासिल कर लेती तो समर्थ कहलाती ✍ कमल भंसाली समर्थता