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बहुत कुर्बानियां दी हमने शांति रखने की खातिर। हमा


बहुत कुर्बानियां दी हमने शांति रखने की खातिर।
हमारी चुप्पी को कमजोरी समझने लगा काफिर।
जबसे उसके ही घर में घुसकर हमने  मारा  है,
कब तक चुप रहते सब्र की भी सीमा होती  आखिर।

©Tarun Rastogi kalamkar
  #सबक