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उसके मुलायम से हाथ मेरे हाथो पर थे। मानों कुछ वा

उसके मुलायम से हाथ मेरे हाथो पर थे। 
मानों  कुछ वायदे करने की कसम खा रही हो ।
या प्यार से मुझे हौसला देते हुए मुझे समझा रही हो ॥
उसके हाथ मेरे हाथ पर थे ।
जैसे आसमान के सितारों को गिनकर  ।
मेरे संग ख्यालों में खोकर सपने नये बुन रही हो ॥
जैसे कह रही हो कि तुम ही मेरे सब कुछ हो ।
बिखरें हुए आयने के टुकड़ों को फिर से जोड़ रही हो ॥
कोरे कागज पर अश्कों से अपने तश्वीर मेरी बना रही हो ।
उसके हाथ मेरे हाथ पर थे।
उसके हाथों के स्पर्श से लब मेरे सिल गए ।
एक नजर उसे देखता रहा यूं जैसे जन्नत के दरवाजे खुल गए हो ।
उसके हाथ मेरे हाथ पर थे।

©Shakuntala Sharma
  #Wo , उसके हाथ मेरे हाथ पर थे।

#Wo , उसके हाथ मेरे हाथ पर थे। #शायरी

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