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नाम आया उसका जेहन में , यूँ कि जैसे ख़िज़ाँ में बहा

 नाम आया उसका जेहन में , यूँ कि जैसे ख़िज़ाँ में बहार,
किसी दिल को जैसे सुकून आये,जो मुद्दतों से था बेक़रार।

अब न रहता है चैन दिन में, न रातों को आता है क़रार,
जो ख़्वाबों में अब मुसलसल आ जाता है, गेसू-ए-दिलदार।

©Kumar Saurabh
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