लेटे लेटे रात अचानक उठकर आखिर बैठ गया मैं , करता क्या इस पागल मन को , याद तुम्हारी सता रही थी । दिल था तुम मेरी हो कह कर , मुझे दिलाशा दिला रहा था । किस्मत खड़ी पास में मेरे , तुम्हें गैर का बता रही थी । ©Lafz-£-Raaz करता क्या