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लेटे लेटे रात अचानक उठकर आखिर बैठ गया मैं , करता क

लेटे लेटे रात अचानक उठकर आखिर बैठ गया मैं ,
करता क्या इस पागल मन को ,
याद तुम्हारी सता रही थी ।

दिल था तुम मेरी हो कह कर , मुझे दिलाशा दिला रहा था ।
किस्मत खड़ी पास में मेरे ,
तुम्हें गैर का बता रही थी ।

©Lafz-£-Raaz करता क्या
लेटे लेटे रात अचानक उठकर आखिर बैठ गया मैं ,
करता क्या इस पागल मन को ,
याद तुम्हारी सता रही थी ।

दिल था तुम मेरी हो कह कर , मुझे दिलाशा दिला रहा था ।
किस्मत खड़ी पास में मेरे ,
तुम्हें गैर का बता रही थी ।

©Lafz-£-Raaz करता क्या

करता क्या #शायरी