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मनुष्य का आभूषण उसका रूप होता है, रूप का आभूषण गुण

मनुष्य का आभूषण उसका रूप होता है, रूप का आभूषण गुण होता है, आभूषण ज्ञान होता है और ज्ञान का आभूषण क्षमा होता है| अर्थात्‌ रूपवान होना भी तभी सार्थक है जब सच्चे गुण, सच्चा ज्ञान और क्षमा मनुष्य के भीतर हो||

©Radhekrishn Premi
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