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*!!* उठो और जागो *!!* ********************* उठो और

*!!* उठो और जागो *!!*
*********************
उठो और जागो गहरी निंद्रा से,
धरती  पर  मानवता  का मशाल जला दो।
कुचल   रहा   है  जो   सनातन   धर्म  को,
उसका नामोनिशान मिटा दो।
विश्व-प्रेम समाहित है सनातन संस्कृति में,
यह सत्य सहनशील  धरती को बदला दो।
पुकार  ईश्वर की  है  ब्रह्मांड से,
उठो और जागो गहरी निंद्रा से,
धरती   पर  मानवता का मशाल जला दो।
अहिंसा   नहीं  ,  शांति    हमारा   धर्म  है,
हिंसा को जड़ से मिटा दो।
स्वतंत्र  हैं  हम हिंदू धर्म की  रक्षा के लिए,
अलौकिक शक्ति  को पुकार लो।
प्रार्थना - अर्चना  अब बंद  करो,
अपने बिगड़े  मन को सुधार लो।
उठो  और  जागो गहरी निंद्रा से,
धरती  पर  मानवता का  मशाल जला दो।
अब आहुति देना नहीं लेना सीखो,
अपने अंतर आत्मा को पुकार लो।
कांप  रहा  धरती  कट्टरपंथियों   के कुचक्र से,
दिल में सबका सनातन  संस्कृति जगमगा दो।
हिंसा  रुकेगा  नहीं  अब उपदेश के संचार से,
जातिवाद  और छुआछूत  की दूरियां मिटा दो।
प्रकाश  फैला दो अंधकार में  तलवार से,
खूनी धर्मावलंबियों को कफन  पहना दो।
प्रमोद यह लिख रहा सनातन संस्कार से,
अब शोक नहीं स्वयं में उर्जा पैदा कर लो,
उठो और जागो गहरी निंद्रा से,
धरती पर मानवता का मशाल जला दो।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से

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©pramod malakar #उठो और जागो
*!!* उठो और जागो *!!*
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उठो और जागो गहरी निंद्रा से,
धरती  पर  मानवता  का मशाल जला दो।
कुचल   रहा   है  जो   सनातन   धर्म  को,
उसका नामोनिशान मिटा दो।
विश्व-प्रेम समाहित है सनातन संस्कृति में,
यह सत्य सहनशील  धरती को बदला दो।
पुकार  ईश्वर की  है  ब्रह्मांड से,
उठो और जागो गहरी निंद्रा से,
धरती   पर  मानवता का मशाल जला दो।
अहिंसा   नहीं  ,  शांति    हमारा   धर्म  है,
हिंसा को जड़ से मिटा दो।
स्वतंत्र  हैं  हम हिंदू धर्म की  रक्षा के लिए,
अलौकिक शक्ति  को पुकार लो।
प्रार्थना - अर्चना  अब बंद  करो,
अपने बिगड़े  मन को सुधार लो।
उठो  और  जागो गहरी निंद्रा से,
धरती  पर  मानवता का  मशाल जला दो।
अब आहुति देना नहीं लेना सीखो,
अपने अंतर आत्मा को पुकार लो।
कांप  रहा  धरती  कट्टरपंथियों   के कुचक्र से,
दिल में सबका सनातन  संस्कृति जगमगा दो।
हिंसा  रुकेगा  नहीं  अब उपदेश के संचार से,
जातिवाद  और छुआछूत  की दूरियां मिटा दो।
प्रकाश  फैला दो अंधकार में  तलवार से,
खूनी धर्मावलंबियों को कफन  पहना दो।
प्रमोद यह लिख रहा सनातन संस्कार से,
अब शोक नहीं स्वयं में उर्जा पैदा कर लो,
उठो और जागो गहरी निंद्रा से,
धरती पर मानवता का मशाल जला दो।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से

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©pramod malakar #उठो और जागो

#उठो और जागो #कविता