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जो मैं कहुँ मैं सुरमा लगता हुँ, तो क्या तुम मुझे स

जो मैं कहुँ मैं सुरमा लगता हुँ, तो क्या तुम मुझे सहमी हुई आँखों से देखोगी? मुस्कुराते हुये लब फडफडाऐगे पर क्या अदंर हि अंदर तुम्हारी रूह काँपती होगी ? क्या मैं चंदन लगा आँऊ तो तुम मुझसे इजहार करोगी ,मेरे बालों को सँवारते हुए कनखियों से मेरे होठ़ निहारोगी | जो मैं कहुँ मेरा नाम अहमद हैं राम नहीं, मैं चादर चढाता हुँ, चुनरी नहीं। तो क्या तुम मुझसे नजरें चुरा लोगी ?अपनी गली में मुझे देखते ही घर का फटक बंद कर लोगी। फर जो मैं माता की चौकी का चंदा इकट्ठा करने आऊं, तो क्या तुम व्दार खोल स्वागत करोगी ? 101 का चढावा दे, मुझे दूर तक जाते हुए निहारोगी। क्या मेरा कौम ही बंधन हैं तुम्हरा,क्या मेरी रुह का कोइ मोल नही, माटी से हि बना हुँ, मक्का मदिना का मैं रेत नहीं । जो मैं कहुँ मैं सुरमा लगता हुँ, तो क्या तुम मुझे सहमी हुई आँखों से देखोगी? मुस्कुराते हुये लब फडफडाऐगे पर क्या अदंर हि अंदर तुम्हारी रूह काँपती होगी ? क्या मैं चंदन लगा आँऊ तो तुम मुझसे इजहार करोगी ,मेरे बालों को सँवारते हुए कनखियों से मेरे होठ़ निहारोगी | जो मैं कहुँ मेरा नाम अहमद हैं राम नहीं, मैं चादर चढाता हुँ, चुनरी नहीं। तो क्या तुम मुझसे नजरें चुरा लोगी ?अपनी गली में मुझे देखते ही घर का फटक बंद कर लोगी। फर जो मैं माता की चौकी का चंदा इकट्ठा करने आऊं, तो क्या तुम व्दार खोल स्वागत करोगी ? 101 का चढावा दे, मुझे दूर तक जाते हुए निहारोगी। क्या मेरा कौम ही बंधन हैं तुम्हरा,क्या मेरी रुह का कोइ मोल नही, माटी से हि बना हुँ, मक्का मदिना का मैं रेत नहीं । #nojoto #bediya #hindumuslim
जो मैं कहुँ मैं सुरमा लगता हुँ, तो क्या तुम मुझे सहमी हुई आँखों से देखोगी? मुस्कुराते हुये लब फडफडाऐगे पर क्या अदंर हि अंदर तुम्हारी रूह काँपती होगी ? क्या मैं चंदन लगा आँऊ तो तुम मुझसे इजहार करोगी ,मेरे बालों को सँवारते हुए कनखियों से मेरे होठ़ निहारोगी | जो मैं कहुँ मेरा नाम अहमद हैं राम नहीं, मैं चादर चढाता हुँ, चुनरी नहीं। तो क्या तुम मुझसे नजरें चुरा लोगी ?अपनी गली में मुझे देखते ही घर का फटक बंद कर लोगी। फर जो मैं माता की चौकी का चंदा इकट्ठा करने आऊं, तो क्या तुम व्दार खोल स्वागत करोगी ? 101 का चढावा दे, मुझे दूर तक जाते हुए निहारोगी। क्या मेरा कौम ही बंधन हैं तुम्हरा,क्या मेरी रुह का कोइ मोल नही, माटी से हि बना हुँ, मक्का मदिना का मैं रेत नहीं । जो मैं कहुँ मैं सुरमा लगता हुँ, तो क्या तुम मुझे सहमी हुई आँखों से देखोगी? मुस्कुराते हुये लब फडफडाऐगे पर क्या अदंर हि अंदर तुम्हारी रूह काँपती होगी ? क्या मैं चंदन लगा आँऊ तो तुम मुझसे इजहार करोगी ,मेरे बालों को सँवारते हुए कनखियों से मेरे होठ़ निहारोगी | जो मैं कहुँ मेरा नाम अहमद हैं राम नहीं, मैं चादर चढाता हुँ, चुनरी नहीं। तो क्या तुम मुझसे नजरें चुरा लोगी ?अपनी गली में मुझे देखते ही घर का फटक बंद कर लोगी। फर जो मैं माता की चौकी का चंदा इकट्ठा करने आऊं, तो क्या तुम व्दार खोल स्वागत करोगी ? 101 का चढावा दे, मुझे दूर तक जाते हुए निहारोगी। क्या मेरा कौम ही बंधन हैं तुम्हरा,क्या मेरी रुह का कोइ मोल नही, माटी से हि बना हुँ, मक्का मदिना का मैं रेत नहीं । #nojoto #bediya #hindumuslim