Nojoto: Largest Storytelling Platform

आजकल लोग कितने बजे से लगते हैं चकाचौंध दुनिया के

आजकल लोग कितने बजे से लगते हैं 
चकाचौंध दुनिया के देश में डूबे रहते हैं

चलते हैं फिर रुक जाते हैं दुनिया के इस दौर मे
भागने वाले भी कहीं थक के चूर हो जाते हैं

बाहर से जो कुछ दिखता है मन ही मन हो रोता है
 कौन है अपना कौन पराया बस यही वह सोचता है
 
रंग भरी इस दुनिया में दिखावे के लोग मिलते हैं 
ना जाने उनके अंतर्मन में कितने रहस्य छुपे रहते हैं

फूलों सी नाजुक जिंदगी पर कांटो पे हम चलते हैं छोटी-छोटी खुशियों को भूल किसी और के पीछे भागते हैं

समय वही संसार वहीं पर लोग बदल से गए हैं 
हंसती खेलती मुस्कुराती जिंदगी को जिंदगी को 
कहीं पीछे छोड़ चले हैं कहीं पीछे छोड़ चले हैं


                            रोशनी केसरी 
                            असिस्टेंट प्रोफेसर मेवाड़ यूनिवर्सिटी                    राजस्थान                   फूलपुर इलाहाबाद

©Roshni keshari
  वर्तमान जीवन की हकीकत

वर्तमान जीवन की हकीकत #Life

568 Views