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दो कदम साथ चलकर तुमने साथ चलना छोड़ दिया। खाकर संग

दो कदम साथ चलकर तुमने
साथ चलना छोड़ दिया।
खाकर संग जीने की कसमें
तन्हा मुझको छोड़ दिया।
कसूर क्या था मेरे मासूम दिल का
जो एक पल में तोड़ दिया।
क्यो छोड़कर मेरी दुनिया
गैरों से रिश्ता जोड़ दिया।

मेरी सूनी दुनियां में तुम आज भी नज़र आते हो।
खामोश पड़े रास्तों में तुम आज भी मुस्कुराते हो।
जब निकलता हूँ तन्हा बाहर की दुनियां में
हर कदम पर तुम ही नजर आते हो।
तुम ही नजर...........

©Kumar Pushpendra #हर कदम पर हिंदी कविता

#lunar
दो कदम साथ चलकर तुमने
साथ चलना छोड़ दिया।
खाकर संग जीने की कसमें
तन्हा मुझको छोड़ दिया।
कसूर क्या था मेरे मासूम दिल का
जो एक पल में तोड़ दिया।
क्यो छोड़कर मेरी दुनिया
गैरों से रिश्ता जोड़ दिया।

मेरी सूनी दुनियां में तुम आज भी नज़र आते हो।
खामोश पड़े रास्तों में तुम आज भी मुस्कुराते हो।
जब निकलता हूँ तन्हा बाहर की दुनियां में
हर कदम पर तुम ही नजर आते हो।
तुम ही नजर...........

©Kumar Pushpendra #हर कदम पर हिंदी कविता

#lunar