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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड

बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी,  खिलौने , जहाँ तक याद पड़ता है  ,
शायद हमने खिलौने नहीं खेले ,
हाँ , वास्तव में लड़की हूँ,
पर मुझे कभी गुड़िया गुड्डो का शौख न था ,
हमने कभी अपनी गुड़िया की शादी नहीं की ,
या शायद ....
बचपन से ही शादी शब्द से ही खौफ था,
या कोई अंजना सा डर ,
मेरी आँखों के सामने जैसे कोई चलचित्र सा चल पड़ता है ,
वो दहेज़ लोभी ,
वो आग की लपटों में झुलसती लड़की ,
वो दर्द , वो चीखे ,
कानों में गूंजती वो कराहने की आवाज ,
आंसू और समाज की बनाई कुरीतियों से बना ,
बेटियों को डसता हुआ सांप | #KHILAUNE #KHAUF #DAHEJ
बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी,  खिलौने , जहाँ तक याद पड़ता है  ,
शायद हमने खिलौने नहीं खेले ,
हाँ , वास्तव में लड़की हूँ,
पर मुझे कभी गुड़िया गुड्डो का शौख न था ,
हमने कभी अपनी गुड़िया की शादी नहीं की ,
या शायद ....
बचपन से ही शादी शब्द से ही खौफ था,
या कोई अंजना सा डर ,
मेरी आँखों के सामने जैसे कोई चलचित्र सा चल पड़ता है ,
वो दहेज़ लोभी ,
वो आग की लपटों में झुलसती लड़की ,
वो दर्द , वो चीखे ,
कानों में गूंजती वो कराहने की आवाज ,
आंसू और समाज की बनाई कुरीतियों से बना ,
बेटियों को डसता हुआ सांप | #KHILAUNE #KHAUF #DAHEJ
sonamkuril1938

Sonam kuril

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