सफ़र की मोहब्बत एक सफ़र मे दो अजनबी मिले थे सेहरा मे गुलशन के गुल खिले थे पहचान नहीं पाए एक दूसरे को शायद पिछले जन्म के बिछड़े अब मिले थे एक दिल को कुछ एहसास हुआ था बड़ा ही प्यारा और ख़ास हुआ था एक दिल ने दूसरे दिल को पहचान लिया था मगर बात करने मे ज़रा शरमा रहा था नज़र नजरों मे बातें करना शुरू हो गये थे एक दूसरे को देख़ मुस्कुराने लगे थे दोनों एक दूजे के होने लगे थे मोहब्बत के नशे मे खोने लगे थे कितना हसीन था वो पल दोनों आपस मे बतलाने लगे थे एक दूजे के बारे मे जानकर खुश होने लगे थे ये सफ़र बड़ा ख़ास हो गया था पहली मुलाक़ात मे ही दोनों को एक दूजे से प्यार हो गया था भूल चुके थे सारी दुनिया को वो अपने सपनों की दुनिया बनाने लगे थे कभी अनजान थे एक दूजे के लिए कुछ पलों मे सफ़र के हमसफ़र बन गए थे मौसम भी खूबसूरत होने लगा था मोहब्बत की बारिशो मे बदलने लगा था क्या मोहब्बत होने लगी थी दोनों की ख़ुदा भी देख़ दुआएं करने लगा था ©Ajay Shayar एक सफ़र का प्यार