मैं पानी सा रेत पर तपता रहा , आँखें बंद कर देर रात तक जगता रहा , मुझे क्या मालूम था कि ये लम्हें सदियों से लगने लगेंगे , मैं अंधेरे की गिरफ्त में तड़पता रहा , ना सुबह हुई मेरी ना दिन निकला , मैं ख़ुद ही की कब्र पर बैठ बिलखता रहा , कोई आया ही नहीं बाद पूछने हाल मेरा , बगल से वक़्त भी आहिस्ता सरकता रहा , लोग अनजानों सा अब बर्ताव करने लगे हैं जिन्हें मैं अपनों से ज्यादा अपना समझता रहा... । ©Jagdeep Justa #Nofear PRaCHIuPAdhYaY✍🏻 Dinesh kumar gangwar Geeta Modi