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ग़ज़ल ― जो  नसों  में था  कभी खूँ  की   रवानी  बनकर

ग़ज़ल
―
जो  नसों  में था  कभी खूँ  की   रवानी  बनकर
बह गया  आँख  से  नमकीन वो  पानी  बनकर

सच वो जिसको था तराशा किसी के  ख्वाबों ने 
रह  गया   सिर्फ़   अधूरी-सी   कहानी   बनकर

तेरे  होठों  की  छुअन  आज  तलक  ताज़ी  है
मेरे  होठों  पे  मोहब्बत  की   निशानी  बनकर

तू  जो  रूठा  तो   बहारें  भी   ख़फ़ा  हो  बैठीं
ज़िन्दगी  बिन  तेरे   गुज़री है खिज़ानी बनकर

मौत   क्यों  माँगने  पर  भी  वो  नहीं  देता   है
ज़िंदगी  हर  किसी को  देता  जो दानी बनकर #खूँ #ज़िन्दगी #पानी #मौत #बहारें #सच #कहानी #ग़ज़ल #ghumnamgautam
ग़ज़ल
―
जो  नसों  में था  कभी खूँ  की   रवानी  बनकर
बह गया  आँख  से  नमकीन वो  पानी  बनकर

सच वो जिसको था तराशा किसी के  ख्वाबों ने 
रह  गया   सिर्फ़   अधूरी-सी   कहानी   बनकर

तेरे  होठों  की  छुअन  आज  तलक  ताज़ी  है
मेरे  होठों  पे  मोहब्बत  की   निशानी  बनकर

तू  जो  रूठा  तो   बहारें  भी   ख़फ़ा  हो  बैठीं
ज़िन्दगी  बिन  तेरे   गुज़री है खिज़ानी बनकर

मौत   क्यों  माँगने  पर  भी  वो  नहीं  देता   है
ज़िंदगी  हर  किसी को  देता  जो दानी बनकर #खूँ #ज़िन्दगी #पानी #मौत #बहारें #सच #कहानी #ग़ज़ल #ghumnamgautam