मेरी आँखों का बिखरा काजल आज नाराज़ है मुझसे, सवाल कर रहा है क्यों मैंने इसके स्याह कणों से अपनी बेचैनियों के काले घेरे छुपा रखे हैं और मैं ढीठ आईने की आड़ में ख्वाइशों की छोटी लाल बिंदी लगाती कानों में तानों - उम्मीदों के झुमके डाले उलझनों पर इतरा रही हूँ आज होंठो पर हाज़िरजवाबी की लाली नही है, मन थोड़ा शांत है बालों को अच्छी तरह सुलझा कर आत्मविश्र्वास का जूड़ा बना लिया है मेरे सपनों के धागे से बुनी पीली साड़ी सिलवटों के नखरे दिखा रही है और माथे पर रिश्तों मर्यादाओं की ओढ़नी बड़ी शान से मुझ पर हुक्म जमा रही है माँ दूर खड़ी कुछ सोचती, आँखों मे चमक लिए निहार रही है मुझे जा रही हूँ पूछने कहीं समझौते की तैयारी में कुछ कमी न रह जाये #समझौते #श्रृंगार #माँ #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqdiary #yqquotes