बद-क़िस्मत दिल, तन्हाइयों का मारा , बेशुमार है दर्द, हाथ की लकीरों का मारा। थी उम्मीद जिससे, उसने ही ख्वाहिशों को मारा, जिसको अपना समझा , वही बेगाना निकला, प्यार के गुलिस्तान में, ऊंचा उठने से पहले ही, मेरे पंख काट डाले। क्या फरियाद करूं मैं उससे, जब वो सुनने वाला ही नहीं रहा, कुछ ऐसे वो गया, पीछे उसका साया भी ना रहा। कभी जिंदगी में, हमारी भी बसंत खिलती थी, दिल में हमारे भी प्यार के फूल खिलते थे, तब वक़्त हमारा था, और प्यार भी हमारा था। बद-क़िस्मत दिल, बयां करें अपना हाल-ए-दिल, तन्हाइयों का दामन थामे, थोड़ी जुबान खोल कर, हल्का करें अपना दिल। -Nitesh Prajapati — % & ♥️ Challenge-828 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।