सुना है बाजार में भी एक अलग ही बाजार होता है दिलो का नहीं ,हसरतो का कारोबार होता है लोग आते है वहां गमो से बेजार हो कर लापरवाह सी ज़िन्दगी की परवाह कहाँ होती है ज़िन्दगी सितम देती है ,सितमगर होती है कोई नींद खोजने आता है कोई गम भूलने जाता है हुस्न की गलियों में मोहब्बत नहीं दर्द को दिल से मिटाने का व्यापार होता है सुना है तबले की थाप पे कुछ घुंघरू सजे पाँव थिरकते हैं हर एक आह में लोग वाह-वाह करते है ये कोठे हैं साहब यहाँ ना इश्क कोई ना फरेब किसी से ना रिश्ते का जकड़न ना कोई बंधन यहाँ दिल नहीं ,जज्बात नहीं बस नोटों की बिसात पे कोई जीने के लिए कोई भुलाने के लिए दर्द-ए-जाम लबो से चिपकाए मिलते हैं. ये कोठे हैं साहब