White || बेआवाज़ || बहुतों को बे-सबब राह तकना अजीब लगता है, मुझे अच्छा लगता है, इसमें एक साया होता है... आपकी आमद की हल्की-सी आहट का, जो हवा में घुली रहती है, अनकही, अनदेखी... बहुतों को अल्फ़ाज़ में लिपटा हुआ अलविदा भाता है, मुझे वो अलविदा पसंद है जो कभी कहा न जाए... जो अधूरा रहे, जो निगाहों में ठहरा रहे, जिसमें लौटने की एक वजह बची रह जाए... बहुतों को शिकवे-शिकायतें भारी लगती हैं, मुझे आपकी शिकायतों की गर्माहट अच्छी लगती है... जब आप कहे कि मैं देर से आया हूँ, तब मैं आपकी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा दूं, आप उसे मोड़ दें, और दर्द के मारे मेरे उफ्फ् करने पर आप जोर से खिलखिला दें, कि चलो, कुछ तो मेरा हिसाब लिया आपने... बहुतों को मोहब्बत की नुमाइश चाहिए, मुझे वो लम्हे अच्छे लगते हैं जब आप खामोश बैठी हो, और मैं आपके चेहरे के उतार-चढ़ाव में आपके दिल का हाल पढ़ लूं... जब आप एक लफ्ज़ भी न कहे, और मैं सब समझ जाऊं... बहुतों को इश्क़ में एक मंज़िल चाहिए, मुझे वो सफ़र अच्छा लगता है, जहाँ हर मोड़ पर आप मेरे साथ चल रही हो, बिना किसी दावे, बिना किसी शर्त के... बस यूँ ही, हाथों में हाथ लिए, सदियों तक, एक-दूसरे को पढ़ते हुए... मुझे आपसे कुछ ज़्यादा नहीं चाहिए था, बस इतना कि जब मैं थक जाऊं, तो मेरा सर आपके हाथों में सुकून पा जाए, और जब आप रूठ जाए, तो मेरे पास आपको मनाने की मोहलत बची रहे... 🍂🥀🌿🍁🌷 ______________________________________________ ✍️ बात कुछ यूँ है,,, इंतज़ार, अलविदा और शिकवे—ये तीनों मिलकर मोहब्बत की एक अनमोल तस्वीर बनाते हैं। वो इंतज़ार जिसमें एक उम्मीद सांस लेती है, वो अलविदा जो अधूरा होकर भी जुड़ा रहता है, और वो शिकवे जो मोहब्बत की गहराई का सबूत होते हैं। यह रचना उन लम्हों का इज़हार है, जो ख़ामोशी से भी कह जाते हैं कि मोहब्बत बस महसूस करने की चीज़ है, जताने की नहीं। ©पूर्वार्थ #इश्क