कितनी शिद्दत से रिश्तो क़ो उम्दा करने की हमने कोशिश की थीं आज हालत ये है कि कोई किसी क़ो पहचानता नही है मौसम की बेरुखी ने आज हमेँ अपनों से दूर कर दिया है जिनके आने की पूरी उम्मीद थीं अब तक वे पहुचे नही है आज भी याद है मुझे वे महकते हुए लम्हे एक झलक दिखाने के बाद वो लम्हे फिर कभी जिंदगी में लौटे नही है ©Parasram Arora महकते लम्हें