साइकिल का सफ़र एक बार फिर होना चाहिए तेरे संग वसंत का संगम होना चाहिए... पकड़ लेना पंप, मैं नाले पकड़ भर दूगा हवा... कुछ और नहीं चाहिए बस इतनी सी सफ़र होनी चाहिए धीमी गति से "किधर कहां जा रहे हो" ये पूछने का हक़ सिर्फ तुम्हारा ही होगा और "धीरे चलने का आग्रह" तुम से मेरा ही होगा "चलिए मेरे घर की ओर" तुम रोज कहती हो और फिर हंस, आते हैं कहकर आगे चलें जाने को कहती हो इज्ज़त ए इश्क़, में मुझे मालूम है सफ़र इतना ही है वो रंग..वो महक ए महफ़िल आख़री तो अपना ही है ©Dev Rishi #साइकिल #मुहब्बत #यादें