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कदमों की आहट सुनते ही मैं पीछे मुड़ा, देखा आ रहा थ

कदमों की आहट सुनते ही मैं पीछे मुड़ा,
देखा आ रहा था आहिस्ता से कोई बूढ़ा।

मैंने सवालिया नजरों से जो घूरा उनको,
बोले मैं जरूरत नहीं, बन चुका हूँ कूढ़ा।

कि मैं चहलकदमी को निकला हूँ दोस्त,
तू भी चल, मैं भी चलता हूँ थोड़ा, थोड़ा।

घर में कोई बात नहीं करता मुझसे अब,
जैसे मैं बन गया उनकी जिंदगी का रोड़ा।

©Diwan G
  #रोड़ा