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आज फिर दिल ए समंदर में,गम ए सुनामी आई है। ढह गए ख्

आज फिर दिल ए समंदर में,गम ए सुनामी आई है।
ढह गए ख्वाब ए साहिल,हर तरफ मायूसी छाई है।
देखते रहे दर्द ए मंजर,गमों में शरीक हुए न अपने।
सहम गई दिलें धड़कने,हर तरफ खामोशी छाई है।
JP lodhi 29Mar2023

©J P Lodhi.
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