कभी इधर कभी उधर ज़िंदगी लगती है। लाख हो अंधेरा, सफ़र ज़िंदगी लगती है। वो तोड़ सकते हैं उन्हें तोड़ना आता है। हमें हर मोड़ पर, ठहर ज़िंदगी लगती है। ©मनीष कुमार पाटीदार #specs