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मनीष कुमार पाटीदार

साहित्य लेखन - गीत, ग़ज़ल, कविता लघुकथा

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मनीष कुमार पाटीदार

Unsplash जाते- जाते कवि मन 
कुछ न कुछ लिख ही जाता है...
अंतिम दिनों की अंतिम कविताएं भी 
बहुत कुछ कह जाती है....
कवि मौन हो सकता है, 
कविताएं नहीं!

©मनीष कुमार पाटीदार #Book
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मनीष कुमार पाटीदार

White किसी बात का इख़्तियार मत करना।
दग़ाबाज़ है बहोत ऐतबार मत करना।

वो  दिखाते रहेंगे सपने यूं ही  हज़ार,
उन सपनों को  शर्मसार मत करना।

फूल खिलेंगे वहीं जहॉं खिलना होगा,
कॉंटों में उलझकर गुहार मत करना।

तमाशा बनने में कहॉं देर लगती है,
लोग हॅंसे काम सोगवार मत करना।

ज़ज्बातो से ये दुनिया चलती रहेगी,
ज़रूरत से ज़्यादा बौछार मत करना।

जो गुज़र गई उतनी बहुत है 'मनीष'
खुद को कभी कसुरवार मत करना।

©मनीष कुमार पाटीदार #GoodMorning
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मनीष कुमार पाटीदार

बच्चों को लगा कि मॉं को आंख लग गई होगी,
सुबह देखा तो मॉं हमेशा के लिए सो गई थी।

©मनीष कुमार पाटीदार
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मनीष कुमार पाटीदार

Good evening quotes in Hindi ढलती शाम में अजीब सी बेबसी है 
पंक्षी घर लौटते ही मॉं को याद करते हैं...

©मनीष कुमार पाटीदार
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मनीष कुमार पाटीदार

White  क्या लिखूं आज के शोर में।
मुड़  जाऊॅं  जिस  ओर  में।

टूटे किनारों से कश्ती दूर,
ले जाऊं कैसे उस छोर में।

याद आते हैं गुज़रे लम्हे,
अब भी हूॅं चितचोर में।

वो  झूठा  अक्स  निकला,
गिनती है जिसकी चोर में।

डर किसी से नही लगता 
सच बातें हैं जब ज़ोर में।

सम्भल गया अब 'मनीष'
चमकता सितारा भोर में।

©मनीष कुमार पाटीदार #love_shayari
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मनीष कुमार पाटीदार

White  क्या लिखूं आज के शोर में।
मुड़  जाऊॅं  जिस  ओर  में।

टूटे किनारों से कश्ती दूर,
ले जाऊं कैसे उस छोर में।

याद आते हैं गुज़रे लम्हे,
अब भी हूॅं चितचोर में।

वो  झूठा  अक्स  निकला,
गिनती है जिसकी चोर में।

डर किसी से नही लगता 
सच बातें हैं जब ज़ोर में।

सम्भल गया अब 'मनीष'
चमकता सितारा भोर में।

©मनीष कुमार पाटीदार #GoodMorning
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मनीष कुमार पाटीदार

White जब सपने थे कुछ बनके दिखाने के तब मॉं थी 
आज सपने पूरे हुए तो हकीकत देखने के लिए मॉं नहीं है।

©मनीष कुमार पाटीदार #sad_quotes
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मनीष कुमार पाटीदार

White सोचते हैं बहुत सोचना आसान है।
दिखाई दे सच, सच भी नादान है।

जो गुज़र गई उसका मलाल नहीं,
जो गुज़र रहा पल वह मेहरबान है।

हर चेहरा जाना पहचाना तो नहीं,
मगर अजनबी भी यहॉं मेहमान है। 

किसी की राह में सहारा बन जाना,
अच्छी आदत में कहॉं नुकसान है।

नज़र तो पैनी रखेंगे अपने काम में,
नज़र में आजकल अच्छे इंसान है‌।

ज्यादा टकटकी न लगाना 'मनीष'
अभी - अभी सफ़र में इम्तिहान है।

©मनीष कुमार पाटीदार #Thinking
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मनीष कुमार पाटीदार

अंधेरा था घना उजाले की तलाश में।
किसे देते आवाज़ कोई न था पास में।

जब मिली मंज़िल तो पता किया हमने,
सब कुछ था, जैसा है आज एहसास में।

©मनीष कुमार पाटीदार #NightRoad
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मनीष कुमार पाटीदार

White कुछ है जो आज ये मुकाम है।
हम गरीबों का भी निज़ाम है।

तुम खाक छानकर ढूॅंढ लो,
वक्त के आगे ये इंतकाम है।

लोहा लोहे को काट रहा है,
मुट्ठी भर लकड़ी इंतज़ाम है।

रो रोकर न यूं दिन बिताओ,
हॅंसते लम्हे सुबह-ओ-शाम है।

वो तोड़ेंगे आते-जाते सबको,
तुम्हारे हाथों सबकी लगाम है‌।

जब तक ज़िंदा रहेगा 'मनीष'
तब तक इरादे खुल्लेआम है।

©मनीष कुमार पाटीदार #Sad_Status
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