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दुख-दर्द लिए बैठे हैं, तन्हाई के आलम में। बिखर जाय

दुख-दर्द लिए बैठे हैं, तन्हाई के आलम में।
बिखर जायेंगे एक दिन यूं ही तेरी चाहत में।।

©Shubham Bhardwaj
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