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हसरत थी बस यही , कि एक प्यार भरी दुनिया हो , हर

 हसरत  थी  बस यही , कि एक प्यार भरी दुनिया हो ,
हर  फूल खिला रहे जिसमें, एक सुँदर सी बगिया हो ,

सपनो में भी अक़्सर ,उस जहान को जिया करती थी,
सोने की चिड़िया था कभी,उस हिंदुस्तान को जिया करती थी,

पर   सपनें   तो   सपनें    होते   हैं,  पूरे   कहाँ  हो पातें हैं,
कुछ दम तोड़ देते हैं राह में, कुछ दिल मे दफ़न हो जाते हैं ,

भेदभाव  और  वैमनस्य  की , ऐसी   खाई  खोदी  थी,
क़ुदरत  भी   इन्हें   देखकर   , ज़ार   ज़ार  रो दी  थी,

उन   टूटे   हुए   सपनों   की ,   बिखर  गई हर कड़ी है,
अब चुभतें हैं सपनें, और जिंदगी मौत की दहलीज पे खड़ी है ।।
पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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