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White मातमी बना हाथरस, आँसूओं की धार है दर्द की

White मातमी बना हाथरस, आँसूओं की धार है  
दर्द की परछाइयों में, सिसकियों की पुकार है।  
हर गली है सूनी-सूनी, हर दिल में है मातम  
आँखों में बसा हुआ, अपनों का अलविदा।

चीखें जो गूँजती थी, अब खामोशियाँ हैं यहाँ  
भरोसे की बुनियादें, बिखरी हैं जहाँ-तहाँ।  
सवाल उठते हैं हजार, जवाब मिलते नहीं  
जिन्दगी की इस जंग में, हम सब हारे कहीं।

हर चेहरा है उदास, हर मन में है अंधेरा  
हाथरस की धरती पर, दुख का घना सवेरा।  
न्याय की राहें अब, धुंधली सी नजर आती हैं  
इंसानियत की मशालें, बुझी-बुझी सी पाती हैं।

दिलों में जिंदा रहेंगे, ये दर्द के निशान  
यादों में बस जाएंगे, ये दुखभरे बयान।  
उम्मीद की किरणें फिर, चमक उठेंगी जरूर  
हर मातम की रात के बाद, सवेरा आता जरूर।

©Balwant Mehta
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