बड़े से सपने ले कर आये थे।एक छोटे से गांव से।। बस सफर का सामान छोटा था,हौसले और उम्मीदें तो आसमान जैसी थी।।पैदल चलते हुए भी वो सफर उड़ान जैसी थी।एक नई दुनिया मे कदम रखने जैसा। रेल गाड़ी से उतरते हुए,स्टेशन पर पहला पैर रखना।।वो दाहिना पैर,शुभ होता है न। पर स्टेशन से बाहर आते ही भीड़ भागम भाग शोर।।उफ्फ।।सपनो की दुनिया मे इतनी चिल्लाम्पों।।ऐसा लग रहा था कि सच मे मैं किसी ओर ग्रह पर हूँ,किसी एलियन जैसा।।पर तभी पापा की तनी मूछ,माँ की उम्मीद से भरी आंखें,बहन की मुस्कान,भाई की पढ़ाई और कर्ज याद आ गया।सभी हवा हवाई ख्वाब जरूरतों में बदलने लगे।।अनचाहे ही मैं दौड़ पड़ा,सड़क पर,किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के दफ्तर की ओर अपनी पहचान छोड़।।अब मैं इस अर्थवादी युग का एक प्रबंधक मात्र था,ओर मेरे ख्वाब दीवार पे लगी मशहूर चित्रकारों की कला में कैद,मुझे शून्य की और धकेल रहे थे। #sapne #Life #Wod #Dream #Nojoto #Nzm #Shayari