इस संसार में आपका सबसे बड़ा शत्रु कौन है ये प्रश्न किसी से भी पूछ लीजिए। प्रत्येक व्यक्ति के पास किसी न किसी का नाम तो अवश्य होगा जिसे वो अपना शत्रु मानता है। चलिए आपको वास्तविकता ज्ञात करवाता हूं। इस संसार में आपका सबसे बड़ा शत्रु कोई और व्यक्ति नहीं है। आपका सबसे बड़ा शत्रु है, भाव वो भाव जो और कई नहीं आप ही के भीतर बस्ते हैं ये भाव आपको नष्ट कर सकते हैं। आपको दुखी कर सकते हैं। भाव जैसे अहंकार लोभ, क्रोध, मोह आपके पतन का कारण बन सकते हैं। अहंकार किसी और को तुच्छ समझने पर विवश कर देता है। मोह आपको व्याकुल कर देता है। लोभ आपकी कामनाएं बढ़ाता है और क्रोध जिसकी अग्नि सर्वप्रथम आप ही को जलाती है। अब जैसे हम किसी और शत्रु के लिए सोचते हैं। इस शत्रु के लिए क्या कैसे इस शत्रु को पराजित किया जाए। कैसे इसे मात दी जाए। ये भाव कैसे इन्हें पराजित करें जब ये आप ही के भीतर बस्ते हैं। क्या है, कोई अस्त्र आवश्य है और इस अस्त्र का नाम है संतुष्टि, यही संतुष्टि है जो आपके मन को शांत रखेगी। यही संतुष्टि है जो आपको जीवन मे सुख और आनंद के सागर तक ले जाएगी। इसलिए जीवन में सदैव संतुष्ट रहिए। जो है उसमें आनंद धुंधिये जीवन और भी सुखी होगा। राधे राधे ©Karan Mehra #krishnvani