छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ? क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ? सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्मकथा? अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा। ●●● जयशंकर प्रसाद | #पुण्यतिथि पर सादर नमन #जयशंकर प्रसाद