Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं सुबह से कहना मेरा इंतज़ार ना करे, सो जाएं सूरज से कहना के ज़रा देर से जगे अपने शहर से तेरे लिए सब शाम-रातें, मौसम ये सारे बादल, हवा, ये चाँद-तारे गंगा किनारे वो पल जो हमने संग गुज़ारे सब साथ ही तो ला रहा हूँ मैं Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं Bus चल रही है नज़ारे पीछे जा रहें हैं झुके पेडों पे छूपे जुगनू Street Light से, Bus को रस्ता दिखा रहें हैं Bus की headlights सड़क चलते हर अंधेरे से तेरा पता पूछ रहीं हैं तूने इन्हें सही रस्ता तो बताया है ना मैं भी कैसा पागल हूँ, बताया ही होगा तुझसे मिलने की खुशी में ना जाने क्या कुछ ही सोचे जा रहा हूँ मैं Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं Bus के बाहर पसरा सन्नाटा कुछ जाना पहचाना सा राग गा रहा है नाम शायद जानता है मेरा मुझे मेरे नाम से बुला रहा है Bus के अंदर radio भी वही तेरा मेरा favorite गाना बजा रहा है ये सब हो क्या रहा है मुझे तो लगता है, ये सफ़र साज़िश है तेरी तभी तो सब वैसा ही हो रहा है जैसा चाह रहा हूँ मैं Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं Bus में बैठा हर शख्स कोई पुराना अधूरा सपना फिर पूरा करने की उम्मीद में सो गया है मैं एक सपना जी रहा हूँ मैं अब भी जग रहा हूँ हर सवाल मेरा खुद से कर के हर जवाब तेरा खुद को दे रहा हूँ वक़्त बिताने के लिए मैं यूँ भी कर रहा हूँ आलम तो ये है कि पागलपन में मेरे तू बन कर खुद से ही बतला रहा हूँ मैं Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं पलटन बाज़ार से वो तेरी पसंद की हरी चूड़ियाँ भी ले ली हैं देख भूला नही हूँ मैं वो तेरे राजा की रानी जो मेरे पास थी तेरी निशानी वो बचपन से अब तक जिसे संग लेटाकर खुद से लगाकर, सोती थी तू वो गुड़िया भी ले ली है देख भूला नही हूँ मैं बस रात भर का ही तो फ़ासला है फिर कहाँ जा रही है तू फिर कहाँ जा रहा हूँ मैं Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं # Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं #