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धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी, ये बसंती मौसम में

धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी,
ये बसंती मौसम में,मचलता है बदन भी।

झूमते पेड़,मानो कुछ गा रहे है नाचते हुए,
खूब निखरा निखरा सा लगता है, चमन भी।
धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी,
ये बसंती मौसम में,मचलता है बदन भी।

नये निराले परिंदे नजर आते है इस मौसम में,
जानवरों के छोटे बच्चों से भर जाता है वन भी।
धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी,
ये बसंती मौसम में,मचलता है बदन भी।

सरसों के पीले फूलों से,ढके खेत खलिहान,
उतर आते है धरा में तब, रति और मदन भी।
धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी,
ये बसंती मौसम में,मचलता है बदन भी।

©Kamlesh Kandpal
  #Basant